भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पाती / अंतर्यात्रा / परंतप मिश्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=परंतप मिश्र |अनुवादक= |संग्रह=अंत...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
13:09, 31 मार्च 2019 के समय का अवतरण
लिखता हूँ कि तुम तक पहुँचा सकूँ
कुछ कहे और कुछ अनकहे विचार
कागज के इन पन्नों में सुरक्षित
शब्दों के नयनों से जो रहे निहार
भावनाओं के सागर में सीप बन
निर्मित करता रहता मोती हजार
सर्वस्व समर्पित अपना कर के
दे सकूँ विश्व को खुशियाँ अपार
बनती और बिगडती मानस पर
छायाचित्र निर्मित कच्ची दीवार
मानवता के लिए दृढ़ संकल्पित
प्रेम सृजित अपनेपन की मीनार
विश्व एक है, लक्ष्य एक है
मानव का गन्तव्य एक है
जीवन-धारा के प्रवाह में नाव एक है
चिरयात्रा के पड़ाव पर भाव एक है