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"बैठे हैं दो टीले / नरेश सक्सेना" के अवतरणों में अंतर
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तनिक देर और आसपास रहें | तनिक देर और आसपास रहें | ||
चुप रहें, उदास रहें, | चुप रहें, उदास रहें, | ||
− | जाने फिर कैसी हो जाए यह | + | जाने फिर कैसी हो जाए यह शाम । |
एक-एक कर पीले पत्तों का | एक-एक कर पीले पत्तों का | ||
टूटते चले जाना, इतने चुपचाप, | टूटते चले जाना, इतने चुपचाप, | ||
और तुम्हारा पलकें झपकाकर | और तुम्हारा पलकें झपकाकर | ||
− | प्रश्नों को लौटा लेना अपने | + | प्रश्नों को लौटा लेना अपने आप । |
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दूर-दूर सड़क के किनारे पर | दूर-दूर सड़क के किनारे पर | ||
सूखे पत्तो के धुँधुआते से ढेर, | सूखे पत्तो के धुँधुआते से ढेर, | ||
एक तरफ बैठे हैं दो टीले | एक तरफ बैठे हैं दो टीले | ||
− | गुमसुम-से पीठ फेर-फेर | + | गुमसुम-से पीठ फेर-फेर । |
डूब रहा सभी कुछ अँधेरे में | डूब रहा सभी कुछ अँधेरे में | ||
चुप्पी के घेरे में | चुप्पी के घेरे में | ||
− | पेड़ों पर चिड़ियों ने डाला | + | पेड़ों पर चिड़ियों ने डाला कुहराम । |
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23:32, 1 जून 2019 के समय का अवतरण
तनिक देर और आसपास रहें
चुप रहें, उदास रहें,
जाने फिर कैसी हो जाए यह शाम ।
एक-एक कर पीले पत्तों का
टूटते चले जाना, इतने चुपचाप,
और तुम्हारा पलकें झपकाकर
प्रश्नों को लौटा लेना अपने आप ।
दूर-दूर सड़क के किनारे पर
सूखे पत्तो के धुँधुआते से ढेर,
एक तरफ बैठे हैं दो टीले
गुमसुम-से पीठ फेर-फेर ।
डूब रहा सभी कुछ अँधेरे में
चुप्पी के घेरे में
पेड़ों पर चिड़ियों ने डाला कुहराम ।