"पत्नी / सुधा चौरसिया" के अवतरणों में अंतर
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मै पत्नी हूँ
पति को सारी सुविधाएँ
प्रदान करने वाली 'एक मशीन'
पर खुद किसी सुविधा की हकदार नहीं
सेवामयी, त्यागमयी, निष्ठामयी
पतिपरायण
प्रतिव्रता की प्रतिमूर्ति
क्यों, यही है न
पत्नी का सही और सच्चा रूप
मैं रोज सहजता से
चावल के साथ उबलती हूँ
दाल में गलती हूँ
सब्जियों में भुनती हूँ
आग में जलती हूँ
अपने पति को खुश रखने के
नायाब तरकीब ढ़ूँढ़ती हूँ
जी हाँ!
उनकी असीम आवश्यकताओं में
हर क्षण प्रस्तुत होकर
मैं काब़िल-ए-तारीफ़ हूँ
मेरे बर्तन कितने साफ धुलते हैं
पोछा में कितनी सतर्कता है
कपड़े कितने साफ धुलते ह़ै
आप मेरी तारीफ़ जरुर करते होंगे
मेरे आगे-पीछे, उठते-बैठते, सोते-जागते
फुदकते-चहकते, रोते-चिल्लाते
प्यारे-प्यारे बच्चों की धमाचौकड़ी है
दिनरात जिसमें भिड़े मेरे दिल-दिमाग
बचे रहते हैं-
दुनिया की अन्य बातों से
आप मेरे ऐसे भाग्य से जरूर ईर्ष्या करते होंगे
चालीस की उम्र में
नाती, पोतों को लेकर
झुकी कमर, सफेद बालों के साथ
गर्व से नुक्कड़ पर बैठ, सुनाती हूँ
आपबीती जवानी के किस्से
ओह! मैं कितनी गौरवान्वित हूँ
मैं डॉक्टर की पत्नी
इंजीनियर की पत्नी
प्रोफेसर की पत्नी
मिनिस्टर की पत्नी हूँ
पर, मैं हूँ क्या?
आप ही बताइए न...