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"सपनों की परिभाषा / तिथि दानी ढोबले" के अवतरणों में अंतर

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16:20, 8 जुलाई 2019 के समय का अवतरण

सपनों की परिभाषा को
 मुमकिन होते
 देखा है कभी आपने,
हो सकता है देखा हो
 पर यकीनन वह बदल लेगी अपने मायने,
जब मैं रखूंगी/ अपनी जिंदगी में शामिल
 कुछ सजी- संवरी धरोहरों को आपके सामने।
गहरा लगता है/ रौशनी और मनुष्य के जीवन का नाता।
निपट अकेला अंधेरा/ अक्सर/ मीठी नींद लाने के बरक्स
 मान लिया जाता है/ उदासी का पर्याय/
इस उदासी के गर्भ में/ रहता है अवसाद/
ज़्यादातर आत्महत्याओं के प्रमाण/ कम उजले दिनों में
 या फिर बेमौसम बरसने को लालायित/ बादलों के इर्द
गिर्द मिलते हैं/ यह वृत्तांत बेमतलब का नहीं।
कम उजली रातें भी/ पारलौकिक घटनाओं का
भय पैदा करती हैं।
शायद इसी भय को/ दूर करने ही बदल देते हैं
 अपनी स्थिति/ गाहे-बगाहे कुछ नक्षत्र/
कुछ शुक्ल पक्ष कृष्ण में,
 कुछ कृष्ण पक्ष शुक्ल में/ बदल जाते हैं।
लगता है/ जैसे इम्तिहान लेते हैं
 मनुष्य के साहस और पराक्रम का।/
इन सभी बातों को/ भुलाने के लिए ही
आते हैं उत्सव।
दीवाली पर/ कृत्रिम रौशनियों के भरपूर इंतज़ाम के दरमियां
 दिलों की रौशनी ज़्यादा जगमगाती है।
दो दिल,/ एक साइकिल को धक्का देता हुआ/ तीस साल का,
दूसरा /उस पर बैठा/ मात्र तीन साल पुराना।
साइकिल के हेंडल पर चमकती
 हरी व गुलाबी रौशनी,
गुलाबी ठंड के एहसास के साथ
 जुगलबंदी करती…/
उस तीन साल पुराने की
 सपनों की भाषा को/ लिख रही है
 ऊबड़-खाबड़, पथरीले रास्तों पर।
बाप-बेटे को/ अब तक के अपने जीवन का
 सबसे बड़ा सपना
सभी आतिशबाजियों के बरक्स
 अपने साथ चलता/ दिख रहा है।