भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तुम कैसी हो? / सुनीता शानू" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुनीता शानू |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:40, 9 जुलाई 2019 के समय का अवतरण
उषा की आँख मिचौली से थक कर
निशा के दामन से लिपट कर
जब अहसास तुम्हारा होता है
अविरल बहते
आँसू मेरे
मुझसे पूछ्ते हैं
तुम कैसी हो?
श्यामल चादर ओढ़ बदन पर
जो चार पहर मिलते हैं
मेरे मन के एक कोने में
तेरी आहट सुनते हैं
डर-डर कर
रुकती साँसें
मुझसे पूछती हैं
तुम कैसी हो?
तन्हा रात के काले साये पर
जब पद्चाप कोई उभरती है
खोई-खोई पथराई आँखें
राह तेरी जब तकती हैं
हर करवट पर
मेरी आहें
मुझसे पूछती हैं
तुम कैसी हो?