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जिंदगी भर मुझे
रहेगा मलाल
कि मैं तुम्हें
नही रख पाया
खुश कभी
लेकिन तुम
तुमने भी कहाँ
कोशिश की
कि खुश रख पाऊँ
मैं तुम्हें
तुम्हें शायद
यकीन न हो
किन्तु यही सच है
तुम ही कहो
क्या कभी कोई किसी को
रख पाया है खुश
पूरी तरह से...
पाया था तुम्हे
एक दिन मै
आई थी
जिंदगी में तुम्हारी
रोती-बिलखती
आँसूओं को पोंछती
धीरे-धीरे
नाजुक कदमों से
डग तौलती
कभी देखती तुम्हें
कनखियों से
तो कभी तुम्हारा
घर देखती
सब कुछ अलग
चेहरे अलग
चेहरों के साथ
रिश्ते अलग
एक अपरीचित
माहौल में बस
मेरी खामोशी
तुम्हारी हँसी थी
तुम खुश थे
मुझे पाकर
और मैं
मौन थी
तुम्हें पाकर...