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"मेरे मालिक / सुनीता शानू" के अवतरणों में अंतर

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21:09, 9 जुलाई 2019 के समय का अवतरण

जब कहा उसने-
मै अकेली नही-
मेरे मालिक हैं साथ मेरे-
मैने देखा उसे मुस्कुराकर
मैने कहा-
जो मालिक है तेरा
वही तो है सबका रखवाला-
जो रहता है तेरे साथ
वही तो है मेरे साथ-
वह बोली-
हम बात करते है अपने पालन हार की-
मैने कहा हाँ वही तो है
जग का पालन हार-
मै भी तो हूँ उसके साथ-

इस बार सब्र टूट गया-
सुन्दर प्यारी आँखों मे-
पानी सा घूम गया-
कहा उसने हैरान परेशान-
अरे! नही है मेरा घरवाला बेईमान-
मेरा मालिक बस मेरा है-

उसकी आँखों की सच्चाई-
पुराने अक्स बटोर लाई-
कि पति मेरा देवता है-
मै असमंजस में थी-
जिंदगी भर का वादा कर-
कैसे बन जाता है कोई
देवता या मालिक?
क्या औरत है एक मकान-की चाहर दिवारी-
और वो मालिक-
जो रखे उसकी साज-सम्भाल,
टूट-फ़ूट की जिम्मेदारी
कब होगा उसका अपना वजूद-
और नारी होगी बस एक नारी