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"यात्रा-कथा –उत्तरार्द्ध / रश्मि भारद्वाज" के अवतरणों में अंतर
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12:00, 2 अगस्त 2019 के समय का अवतरण
यात्राओं में उपजती रहीं कविताएँ
सफ़र की थकन और शोर के बीच
पर आँखें बंद कर लो तो फिर कुछ शेष रहता नहीं आसपास
देह से मन तक की यात्रा के लिए एक अदृश्य पुल बनता है
एक अनिश्चित जीवन की तयशुदा यात्राओं के मध्य
यायावर सी भटक सकती है आत्मा
शरीर के लिए तय की गयी हर परिधि से बाहर
मेरे लिए यही इबादत रही
और यही ध्यान