भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"श्रोता / हरीश प्रधान" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरीश प्रधान |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:28, 11 सितम्बर 2019 के समय का अवतरण
मैंने कहा
खूब... खूब...
तुमने गरदनें हिलाईं
स्वर के आरोह
अवरोह से
तालियाँ दे डालीं,
पर
श्रोता का धर्म
श्रवण
सिर्फ श्रवण है
यह सिद्ध किया
ग्रहण कुछ किया नहीं।