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"और सुबह है / वेणु गोपाल" के अवतरणों में अंतर

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कि हो ही नहीं पा रही है।

22:45, 3 सितम्बर 2008 का अवतरण


हम सूरज के भरोसे मारे गए

और

सूरज

घड़ी के।

जो बंद इसलिए पड़ी है

कि हम चाबी लगाना भूल गए थे

और

सुबह है

कि हो ही नहीं पा रही है।