Changes

{{KKCatKavita}}
<poem>
हजार दस्तके पहुँची दस्तकें पहुँचीं
द्वार पर
बेशुमार आहटे आहटें
सजधज कर पहुँचते रहे
नए नए पैगाम उल्फत के लेकिन मेरा द्वार
न ही मेरा दिल
खुद को बचाए रखा
मतलब परस्तियो मतलबपरस्तियो से
आँगन से खुलते द्वार से
मै मैं निकल गई दूर
बहुत दूर
देखा एक वीरान सी
तुम्हारी खुशबू होकर
रच बस गई मै
हर फूल मे में,हर पत्ती मेमें दरख्तो दरख्तों ने शाखे हिलाई दुआओ शाखें हिलाईं दुआओं की फूलो फूलों से भर गई मेरी माँग
प्रकृति के इस पैगाम ने
थोड़ी सी मोहलत
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,279
edits