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"बाल कविताएँ / भाग 14 / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'" के अवतरणों में अंतर

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आसमान पर जहाज उड़े
 
आसमान पर जहाज उड़े
जिधर चाहता उधर मुड़॥
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जिधर चाहता उधर मुड़े॥
  
छुक-छुक करके आरी रेल
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छुक-छुक करके आती रेल
 
दूर-दूर तक जाती रेल ।
 
दूर-दूर तक जाती रेल ।
  

19:13, 3 मई 2020 के समय का अवतरण


गैया

हरी दूब है गैया खाती
सबको पीठा दूध पिलाती ।

बने दूध से दही-मलाई
तरह -तरह की खूब मिठाई ।


गीत

ढोल बजा मेढक का ढम-ढम
भालू बना बाँसुरी वाला ।

अच्छे साथी मिले गधे को
गीत सुनाता गड़बड़झाला ।


सर्कस

देखो सर्कस का यह खेल
हाथी, घोड़ा ठेलमपेल ।

झूला झूल उछल हवा में
कुछ देखो छलाँग लगाते।

बन्दर , चीता, जोकर आते
सब हैं अपने खेल दिखाते।


नेवले की जीत

समझ नेवले को छोटा
नाग झपट पड़ा ।

बहुत निडर था नेवला
डटकर खूब लड़ा ।

नेवले की जीत हुई
हारा नाग बड़ा ।


सवारी

आसमान पर जहाज उड़े
जिधर चाहता उधर मुड़े॥

छुक-छुक करके आती रेल
दूर-दूर तक जाती रेल ।

लम्बी सड़क बहुत इठलाती
मोटर इस पर दौड़ लगाती ।