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भई, हम क्या करते, दुख से दिल हमारे गिलगिला रहे थे | भई, हम क्या करते, दुख से दिल हमारे गिलगिला रहे थे | ||
भई, हम क्या करते, हम भूख से बिलबिला रहे थे | भई, हम क्या करते, हम भूख से बिलबिला रहे थे |
05:49, 26 मई 2020 के समय का अवतरण
भई, हम क्या करते, हम ज्यों एक क़ब्र में रह रहे थे
भई, हम क्या करते, हम जर्मनों की पहरेदारी सह रहे थे
भई, हम क्या करते, उदास छायापथ भी ठण्ड से बह रहे थे
भई, हम क्या करते, दुख से दिल हमारे गिलगिला रहे थे
भई, हम क्या करते, हम भूख से बिलबिला रहे थे
भई, हम क्या करते, आख़िर पूरी तरह से निहत्थे थे हम
भई, हम क्या करते, रात की परछाइयों के होते हैं अपने ग़म
भई, हम क्या करते, एक-दूसरे से प्यार करते थे हम।
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय