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"हवा शहर की / शशि पुरवार" के अवतरणों में अंतर
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पंछी मन ही मन घबराये। | पंछी मन ही मन घबराये। | ||
− | यूँ, जाल बिछाये बैठे | + | यूँ, जाल बिछाये बैठे हैं |
सब आखेटक मंतर मारे | सब आखेटक मंतर मारे | ||
आसमान के काले बादल | आसमान के काले बादल | ||
− | जैसे, जमा हुये | + | जैसे, जमा हुये हैं सारे |
छाई ऐसी घनघोर घटा | छाई ऐसी घनघोर घटा | ||
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कुकुरमुत्ते सा, उगा हुआ है | कुकुरमुत्ते सा, उगा हुआ है | ||
− | गली गली, चौराहे | + | गली गली, चौराहे ख़तरा |
लुका छुपी का, खेल खेलते | लुका छुपी का, खेल खेलते | ||
वध जीवी ने, पर है कतरा | वध जीवी ने, पर है कतरा | ||
− | बेजान तन पर नाचते | + | बेजान तन पर नाचते हैं |
विजय घोष करते, यह साये। | विजय घोष करते, यह साये। | ||
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पंछी उड़ता नीलगगन में | पंछी उड़ता नीलगगन में | ||
− | किरणे नयी सुबह ले | + | किरणे नयी सुबह ले आये। |
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09:48, 22 जून 2020 के समय का अवतरण
हवा शहर की बदल गयी
पंछी मन ही मन घबराये।
यूँ, जाल बिछाये बैठे हैं
सब आखेटक मंतर मारे
आसमान के काले बादल
जैसे, जमा हुये हैं सारे
छाई ऐसी घनघोर घटा
संकट, दबे पाँव आ जाये ।
कुकुरमुत्ते सा, उगा हुआ है
गली गली, चौराहे ख़तरा
लुका छुपी का, खेल खेलते
वध जीवी ने, पर है कतरा
बेजान तन पर नाचते हैं
विजय घोष करते, यह साये।
हरे भरे वन, देवालय पर
सुंदर सुंदर रैन बसेरा
यहाँ गूंजता मीठा कलरव
ना घर तेरा ना घर मेरा
पंछी उड़ता नीलगगन में
किरणे नयी सुबह ले आये।