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"माघ हे सखि मेघ लागल / मैथिली लोकगीत" के अवतरणों में अंतर
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माघ हे सखि मेघ लागल, पिया चलल परदेश यो | माघ हे सखि मेघ लागल, पिया चलल परदेश यो | ||
− | अपनो वयस ओतहि | + | अपनो वयस ओतहि बितओता, हमर कोन अपराध यो -2 |
− | फागुन हे सखि आम मजरल, कोइली | + | फागुन हे सखि आम मजरल, कोइली बाजे घमसान यो |
− | कोइली शब्द सुनि | + | कोइली शब्द सुनि हिय मोर सालय, नयना नीर बहि गेल यो |
− | चैत हे सखि | + | |
− | + | चैत हे सखि पर्व लगईछई, जाय सब सखी गंगा स्नान यो | |
− | बैसाख हे सखि | + | सब सखी पहिरे पियरी पीताम्बर, हमरा के देव दुःख देल यो |
− | + | बैसाख हे सखि उसम ज्वाला, घाम सं भीजल शरीर यो | |
+ | रगरि चन्दन अंग लेपितहूँ, जून गृह रहितथि कन्त यो | ||
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19:35, 4 जुलाई 2020 का अवतरण
मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
माघ हे सखि मेघ लागल, पिया चलल परदेश यो
अपनो वयस ओतहि बितओता, हमर कोन अपराध यो -2
फागुन हे सखि आम मजरल, कोइली बाजे घमसान यो
कोइली शब्द सुनि हिय मोर सालय, नयना नीर बहि गेल यो
चैत हे सखि पर्व लगईछई, जाय सब सखी गंगा स्नान यो
सब सखी पहिरे पियरी पीताम्बर, हमरा के देव दुःख देल यो
बैसाख हे सखि उसम ज्वाला, घाम सं भीजल शरीर यो
रगरि चन्दन अंग लेपितहूँ, जून गृह रहितथि कन्त यो