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"अति सूधो सनेह को मारग है / घनानंद" के अवतरणों में अंतर

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<poem>अति सूधो सनेह को मारग है जहाँ नेकु सयानप बाँक नहीं।
 
तहाँ साँचे चलैं तजि आपनपौ झिझकैं कपटी जे निसाँक नहीं॥  
 
तहाँ साँचे चलैं तजि आपनपौ झिझकैं कपटी जे निसाँक नहीं॥  
 
घनआनंद प्यारे सुजान सुनौ यहाँ एक ते दूसरो आँक नहीं।
 
घनआनंद प्यारे सुजान सुनौ यहाँ एक ते दूसरो आँक नहीं।
 
तुम कौन धौं पाटी पढ़े हौ लला, मन लेहु पै देहु छटाँक नहीं॥  
 
तुम कौन धौं पाटी पढ़े हौ लला, मन लेहु पै देहु छटाँक नहीं॥  
 
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17:23, 9 जुलाई 2020 का अवतरण

अति सूधो सनेह को मारग है जहाँ नेकु सयानप बाँक नहीं।
तहाँ साँचे चलैं तजि आपनपौ झिझकैं कपटी जे निसाँक नहीं॥
घनआनंद प्यारे सुजान सुनौ यहाँ एक ते दूसरो आँक नहीं।
तुम कौन धौं पाटी पढ़े हौ लला, मन लेहु पै देहु छटाँक नहीं॥