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"शून्य मन्दिर में बनूँगी / महादेवी वर्मा" के अवतरणों में अंतर
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− | शून्य मन्दिर में बनूँगी आज मैं प्रतिमा तुम्हारी! | + | <poem> |
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− | अर्चना हों शूल भोले, | + | अर्चना हों शूल भोले, |
− | क्षार दृग-जल अर्घ्य हो ले, | + | क्षार दृग-जल अर्घ्य हो ले, |
− | आज करुणा-स्नात उजला | + | आज करुणा-स्नात उजला |
− | दु:ख हो मेरा पुजारी! | + | दु:ख हो मेरा पुजारी! |
− | नूपुरों का मूक छूना, | + | नूपुरों का मूक छूना, |
− | सरद कर दे विश्व सूना, | + | सरद कर दे विश्व सूना, |
− | यह अगम आकाश उतरे | + | यह अगम आकाश उतरे |
− | कम्पनी का हो भिखारी! | + | कम्पनी का हो भिखारी! |
− | लोल तारक भी अचंचल, | + | लोल तारक भी अचंचल, |
− | चल न मेरी एक कुन्तल, | + | चल न मेरी एक कुन्तल, |
− | अचल रोमों में समाई | + | अचल रोमों में समाई |
− | मुग्ध हो गति आज सारी! | + | मुग्ध हो गति आज सारी! |
− | राग मद की दूर लाली, | + | राग मद की दूर लाली, |
− | साध भी इसमें न पाली, | + | साध भी इसमें न पाली, |
− | शून्य चितवन में बसेगी | + | शून्य चितवन में बसेगी |
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22:53, 11 जुलाई 2020 के समय का अवतरण
शून्य मन्दिर में बनूँगी आज मैं प्रतिमा तुम्हारी!
अर्चना हों शूल भोले,
क्षार दृग-जल अर्घ्य हो ले,
आज करुणा-स्नात उजला
दु:ख हो मेरा पुजारी!
नूपुरों का मूक छूना,
सरद कर दे विश्व सूना,
यह अगम आकाश उतरे
कम्पनी का हो भिखारी!
लोल तारक भी अचंचल,
चल न मेरी एक कुन्तल,
अचल रोमों में समाई
मुग्ध हो गति आज सारी!
राग मद की दूर लाली,
साध भी इसमें न पाली,
शून्य चितवन में बसेगी
मूक हो गाथा तुम्हारी!