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"प्रगतिशील कवियों की नई लिस्ट निकली है / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर

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<poem>प्रगतिशील कवियों की नई लिस्ट निकली है
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प्रगतिशील कवियों की नई लिस्ट निकली है
 
उस में कहीं त्रिलोचन का तो नाम नहीं था  
 
उस में कहीं त्रिलोचन का तो नाम नहीं था  
आँखें फाड़-फाड़  कर  देखा, दोष  नहीं  था
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आँखें फाड़-फाड़  कर  देखा,
पर आँखों का। सब कहते हैं कि प्रेस छली है,
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दोष  नहीं  था पर आँखों का।
शुद्धिपत्र  देखा,  उसमें  नामों  की  माला
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सब कहते हैं कि प्रेस छली है,
छोटी न थी यहाँ भी देखा, कहीं  त्रिलोचन
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शुद्धिपत्र  देखा,   
नहीं । तुम्हारा सुन सुन कर सपक्ष आलोचन
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उसमें  नामों  की  माला छोटी न थी  
कान  पक  गये  थे,  मैं  ऐसा  बैठाठाला
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यहाँ भी देखा, कहीं  त्रिलोचन नहीं।
नहीं, तुम्हारी  बकझक सुना करूँ पहले से
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तुम्हारा सुन सुन कर सपक्ष आलोचन
देख रहा हूँ, किसी जगह  उल्लेख  नहीं  है,
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कान  पक  गये  थे,   
तुम्हीं एक हो, क्या अन्यत्र विवेक नहीं है
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मैं  ऐसा  बैठाठाला नहीं,  
तुम सागर लांघोगे? – डरते हो चहले  से
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तुम्हारी  बकझक सुना करूँ  
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पहले से देख रहा हूँ, किसी जगह  उल्लेख  नहीं  है,
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तुम्हीं एक हो, क्या अन्यत्र विवेक नहीं है  
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तुम सागर लांघोगे? – डरते हो चहले  से  
 
बड़े  बड़े  जो  बात  कहेंगे,  सुनी  जायगी
 
बड़े  बड़े  जो  बात  कहेंगे,  सुनी  जायगी
 
व्याख्याओं में उनकी व्याख्या चुनी जायगी।
 
व्याख्याओं में उनकी व्याख्या चुनी जायगी।
 
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22:02, 26 अगस्त 2020 के समय का अवतरण

प्रगतिशील कवियों की नई लिस्ट निकली है
उस में कहीं त्रिलोचन का तो नाम नहीं था
आँखें फाड़-फाड़ कर देखा,
दोष नहीं था पर आँखों का।
सब कहते हैं कि प्रेस छली है,
शुद्धिपत्र देखा,
उसमें नामों की माला छोटी न थी
यहाँ भी देखा, कहीं त्रिलोचन नहीं।
तुम्हारा सुन सुन कर सपक्ष आलोचन
कान पक गये थे,
मैं ऐसा बैठाठाला नहीं,
तुम्हारी बकझक सुना करूँ
पहले से देख रहा हूँ, किसी जगह उल्लेख नहीं है,
तुम्हीं एक हो, क्या अन्यत्र विवेक नहीं है
तुम सागर लांघोगे? – डरते हो चहले से
बड़े बड़े जो बात कहेंगे, सुनी जायगी
व्याख्याओं में उनकी व्याख्या चुनी जायगी।