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"बूढ़ा मलबा / निदा फ़ाज़ली" के अवतरणों में अंतर

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छुप कर सो जाऊँगा।
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17:54, 11 अक्टूबर 2020 के समय का अवतरण

हर माँ
अपनी कोख से
अपने शौहर को जन्मा करती है
मैं भी अब
अपने कन्धों से
बूढ़े मलवे को ढो-ढो कर
थक जाऊँगा
अपनी महबूबा के
कुँवारे गर्भ में
छुप कर सो जाऊँगा।