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"सलीक़ा / निदा फ़ाज़ली" के अवतरणों में अंतर
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देवता है कोई हम में | देवता है कोई हम में |
18:11, 11 अक्टूबर 2020 के समय का अवतरण
देवता है कोई हम में
न फरिश्ता कोई
छू के मत देखना
हर रंग उतर जाता है
मिलने-जुलने का सलीक़ा है ज़रूरी वर्ना
आदमी चंद मुलाक़ातों में मर जाता है