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"देखते देखते उतर भी गये / फ़िराक़ गोरखपुरी" के अवतरणों में अंतर
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− | आज उन्हें मेहरबान सा पाकर | + | आज उन्हें मेहरबान सा पाकर |
− | खुश हुए और जी में डर भी गए | + | खुश हुए और जी में डर भी गए |
− | इश्क में रूठ कर दो आलम से | + | इश्क में रूठ कर दो आलम से |
− | लाख आलम मिले जिधर भी गये | + | लाख आलम मिले जिधर भी गये |
− | हूँ अभी गोश पुर सदा और वो | + | हूँ अभी गोश पुर सदा और वो |
ज़ेर-ए-लब कह के कुछ मुकर भी गये | ज़ेर-ए-लब कह के कुछ मुकर भी गये | ||
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22:44, 25 अक्टूबर 2020 के समय का अवतरण
देखते देखते उतर भी गये
उन के तीर अपना काम कर भी गये
हुस्न पर भी कुछ आ गये इलज़ाम
गो बहुत अहल-ए-दिल के सर भी गये
यूँ भी कुछ इश्क नेक नाम ना था
लोग बदनाम उसको कर भी गये
कुछ परेशान से थे भी अहल-ए-जुनूंन
गेसु-ए-यार कुछ बिखर भी गए
आज उन्हें मेहरबान सा पाकर
खुश हुए और जी में डर भी गए
इश्क में रूठ कर दो आलम से
लाख आलम मिले जिधर भी गये
हूँ अभी गोश पुर सदा और वो
ज़ेर-ए-लब कह के कुछ मुकर भी गये