भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बारिश-3 / वन्दना टेटे" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वन्दना टेटे |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 10: | पंक्ति 10: | ||
और बारिश मुझमें | और बारिश मुझमें | ||
− | मेरे पंख | + | मेरे पंख भीग रहे थे |
देह नदी हो गई थी | देह नदी हो गई थी | ||
13:57, 25 जनवरी 2021 के समय का अवतरण
मैं बारिश में थी
और बारिश मुझमें
मेरे पंख भीग रहे थे
देह नदी हो गई थी
शब्द पानी-पानी हो रहे थे
हंसी झरने की तरह
शोर कर रहे थे
बदमाश बादल मेरे पीछे पड़ा था
किसी आवारा शोहदे की तरह