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"हाइकु / कल्पना लालजी / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर
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+ | समझा ज़रा | ||
+ | डूब- सी गईं हैं क्यों | ||
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+ | डुबि सि गैनी किलै | ||
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+ | आँखों से कजरारी | ||
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+ | नीलगगन बन | ||
+ | परछाईं– सा | ||
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+ | समोख मि तैं | ||
+ | नीलू द्योरू बौंणि कि | ||
+ | ऐन्छुलै तरौं | ||
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+ | मन आसमाँ | ||
+ | चाँद-सितारे बन | ||
+ | छा जीवन में | ||
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+ | मन आगास | ||
+ | जून र गैंणा बणि | ||
+ | छैं जिंदगी माँ | ||
+ | 6 | ||
+ | नदी किनारे | ||
+ | घरौंदे सपनों के | ||
+ | टूटते सदा | ||
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+ | गंगाजी तीरा | ||
+ | घोल स्वीणों का बल | ||
+ | टुटदा सदा | ||
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20:39, 3 मई 2021 के समय का अवतरण
1
समझा ज़रा
डूब- सी गईं हैं क्यों
झील- सी आँखें
सम्झि थोड़ा सि
डुबि सि गैनी किलै
ताल सि आँखी
2
मत डोल यूँ
सागर ठहर जा
आने दे मुझे
नि डुलौ इन
समोदर ठैरि जा
औण दि मि तैं
3
बोल मत ना
आँखों से कजरारी
सुनने भी दे
नि बोल दौं वा
आँख्योंन काळि-काळि
सुण बि दि दौं
4
समेट मुझे
नीलगगन बन
परछाईं– सा
समोख मि तैं
नीलू द्योरू बौंणि कि
ऐन्छुलै तरौं
5
मन आसमाँ
चाँद-सितारे बन
छा जीवन में
मन आगास
जून र गैंणा बणि
छैं जिंदगी माँ
6
नदी किनारे
घरौंदे सपनों के
टूटते सदा
गंगाजी तीरा
घोल स्वीणों का बल
टुटदा सदा
-0-