"हाइकु / सुधा गुप्ता / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर
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पलाश की टुकली | पलाश की टुकली | ||
भुक्की प्यो आग | भुक्की प्यो आग | ||
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गाल दहके | गाल दहके | ||
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नौंन्याळी कनेरा का | नौंन्याळी कनेरा का | ||
खुट्टा बैक्यन | खुट्टा बैक्यन | ||
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घर में घुसे | घर में घुसे | ||
खिड़की से कूदके | खिड़की से कूदके | ||
शैतान मेघ। | शैतान मेघ। | ||
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घौर ऐ गेन | घौर ऐ गेन | ||
खिड़की बै कुतगी | खिड़की बै कुतगी | ||
दुष्ट बादळ | दुष्ट बादळ | ||
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जागी जो कली | जागी जो कली | ||
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राम-राम ओ! गैल्या | राम-राम ओ! गैल्या | ||
घाम माँ बोली | घाम माँ बोली | ||
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पीली चाँदनी | पीली चाँदनी | ||
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उदास च द्यौदासी | उदास च द्यौदासी | ||
मंदिरा द्वार | मंदिरा द्वार | ||
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डालता चौक | डालता चौक | ||
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आँस्वी भिजीं पंगती | आँस्वी भिजीं पंगती | ||
माघ डाकिया। | माघ डाकिया। | ||
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दबे पाँव आ | दबे पाँव आ | ||
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अंग्वाळ ले भेंटेन्दू | अंग्वाळ ले भेंटेन्दू | ||
चुप्प अँधेरू | चुप्प अँधेरू | ||
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9 | 9 | ||
धूप-दारोगा | धूप-दारोगा | ||
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गश्त पर निकळी | गश्त पर निकळी | ||
गुस्सा ह्वे की | गुस्सा ह्वे की | ||
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पौष-प्रभात | पौष-प्रभात | ||
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कुरेड़ू थाणादार | कुरेड़ू थाणादार | ||
सुर्ज फरार | सुर्ज फरार | ||
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11 | 11 | ||
बाँसों के वन | बाँसों के वन | ||
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हौंसिया वीं हवा न | हौंसिया वीं हवा न | ||
बजाई सीटी | बजाई सीटी | ||
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करवटें ले | करवटें ले |
18:01, 4 मई 2021 के समय का अवतरण
1
किशोरी लता
पंजों पर उचक
तरु को बाँधे।
नैं-नैं लगुली
नंगू टेकी खड़ी च
डाळा थैं बाँधी
2
खेलती फाग
पलाश की फुनगी
चूमती आग।
खेन्नी च फाग
पलाश की टुकली
भुक्की प्यो आग
3
गाल दहके
किशोरी कनेर के
पाँव बहके।
गल्वड़ी गर्म
नौंन्याळी कनेरा का
खुट्टा बैक्यन
4
घर में घुसे
खिड़की से कूदके
शैतान मेघ।
घौर ऐ गेन
खिड़की बै कुतगी
दुष्ट बादळ
5
जागी जो कली
’राम-राम सहेली’-
धूप से बोली।
बिजी जु कली
राम-राम ओ! गैल्या
घाम माँ बोली
6
पीली चाँदनी
उदास देवदासी
मंदिर-द्वार
पीलि जुलाळि
उदास च द्यौदासी
मंदिरा द्वार
7
डालता चौक
आँसू भीगी पातियाँ
माघ डाकिया।
चौक धोळदू
आँस्वी भिजीं पंगती
माघ डाकिया।
8
दबे पाँव आ
घेर लेता बाँहों में
मौन अँधेरा।
दब्याँ खुट्ट ऐ
अंग्वाळ ले भेंटेन्दू
चुप्प अँधेरू
9
धूप-दारोगा
गश्त पर निकला
आग बबूला।
घाम दरोगा
गश्त पर निकळी
गुस्सा ह्वे की
10
पौष-प्रभात
कोहरा थानेदार
सूर्य फरार।
पूस सुबेर
कुरेड़ू थाणादार
सुर्ज फरार
11
बाँसों के वन
मनचली हवा ने
बजाई सीटी।
बाँसू का बौंण
हौंसिया वीं हवा न
बजाई सीटी
12
करवटें ले
हिचकियाँ भरती
जागती रात।
हौड़ बदली
बडुळी भोरदी रै
बिजीं रात रे