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"अजब है जीवन / ममता व्यास" के अवतरणों में अंतर

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10:48, 2 जुलाई 2021 के समय का अवतरण

1.
जो खूब योजना बनाकर जीवन जीना चाहते थे, सबसे ज्यादा बर्बादी उन्हीं के हिस्से आई।
जो नक्शे लेकर सीधी राह चले, अक्सर वे सबसे ज्यादा भटके।
जो भटकने की मंशा लेकर निकले, एक दिन मंजिल उन्हीं ने पाई।

2.
जो लोग प्रेम की तलाश में भटके थे, उनका पाला जिस्मों से पड़ गया।
ये देख कर वे उदास हो गए, टूट गए और दुख से मर गए।
जो जिस्मों के पीछे भागे, उनके जीवन में पवित्र प्रेम अचानक से आ धमका
ये देख कर वे घबरा गए, बौखला गए और डर से मर गए।

3.
एक सुबह कुछ लोग मिलकर खुदा तलाशने निकले, उन्हें मंदिरों, मस्जिदों, गिरजा घरों में किस्म-किस्म के स्वार्थी, फरेबी, लालची आदमी मिले।
वे सब भ्रमित हुये और खुदा को इतने रूप में पाकर खुशी से नाचने लगे।
कुछ लोग देर रात तक शराबखाने और वेश्यालयों में भटकते रहे कि अचानक से उन्हें किसी कोने में सर झुकाये खुदा मिल गया और वे सब सुबह तक खुदा के गले लगकर रोते रहे।

4.
कुछ लोग अपनी प्यास लेके दौड़े थे, उन्हें हर जगह फूटे घड़े मिले।
कुछ लोग घड़े लेकर भी भटके, लेकिन उन्हें नदियाँ सूखी मिली।
जिस दिन उन सब ने अपनी प्यास को मार दिया
सुना है, उस रात झमाझम बरसात हुई।

5.
कुछ लोग जीवन भर खेतों में अच्छी नस्ल के बीज रोपते रहे, समय से खाद पानी देते रहे।
लेकिन उर्वर जमीन कभी हरी नहीं हुई।
टूटती सांस, छूटती आस लिए वे सब, थक के एक पुराने पत्थर पे सर फोड़-फोड़ कर मर गए।
सुना है उनके आंसुओं से पत्थर पे कई कोंपले फूटी ओर वो हरा हो गया।