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"फ़ोन / रेखा राजवंशी" के अवतरणों में अंतर

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20:08, 28 जनवरी 2022 के समय का अवतरण

सोचा किसी को
फ़ोन मिलाऊँ
बात करके ही
मन बहलाऊँ ।

क्या किसी मित्र से
गपशप लगाऊँ?
नहीं
शायद सो रही हो
अच्छा यही है
उसे न जगाऊँ ।

क्या किसी अजनबी को
सोते से उठाऊँ
कुछ देर यूं ही बतियाऊँ
नहीं-नहीं
अजनबी तो अजनबी है
क्या कहूँ, क्या बतलाऊँ?

चलो
माँ से बात करूँ
फिर बच्ची बन इठलाऊँ
नहीं, छोड़ो भी
उसे क्यों सताऊँ?

अच्छा यही है
बत्तियां बुझा दूं
और सो जाऊं
कंगारूओं के देश में
नींद में खो जाऊं ।