भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अपनी कथा नहीं / प्रकाश" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रकाश |संग्रह= }} <Poem> मैं अपनी कथा कहना चाहता था क...)
 
(कोई अंतर नहीं)

19:59, 3 नवम्बर 2008 के समय का अवतरण

मैं अपनी कथा कहना चाहता था

कथा शुरू करते ही
पहले शब्द में आकर
बैठ जाती थी एक चिड़िया
जब तक मैं उस चिड़िया को हड़काता था
दूसरे शब्द में आकर बैठ जाती थी
एक हरी पत्ती
पत्ती से निबटने की सोचते ही
तीसरे में चला आता था
हँसता हुआ गुलाब

मुझे हँसी आ जाती थी
मेरी अपनी कोई कथा नहीं थी!