भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"लिख रहा हूँ / शेखर सिंह मंगलम" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शेखर सिंह मंगलम |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:58, 30 अप्रैल 2022 के समय का अवतरण
कल से एक कविता लिख रहा हूँ
अतीत का बुरा बीता लिख रहा हूँ
चाहत दिल को समझा दूँ दिमाग़ से
जानें क्यों रावण को राजा राम और
सूर्पनखा को देवी सीता लिख रहा हूँ
यह दिमाग़ मेरा बे-लगाम था और है
तीते को अक़्सर मीठा लिख रहा हूँ
सब समझेंगे कि मैं उन्हें जानता नहीं
मगर मुर्दों को मैं जीता लिख रहा हूँ।