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"पत्थरों में गोताखोरी-3 / वेणु गोपाल" के अवतरणों में अंतर

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पत्थरों के भीतर
गोता ख़ोर पाता है

कि संगीत के बावजूद
कि रिश्तों के बावजूद
कि वक़्त के बावजूद

व्ह
अकेला है

और
उसके
अकेलेपन को
भी

पत्थरों में
शुमारा जा रहा है।

रचनाकाल : 18 मई 1980