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"याद-2 / वेणु गोपाल" के अवतरणों में अंतर

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आप
 
आप
 
  जेल की कोठरी से
 
  जेल की कोठरी से
  आसमान देखते हैं
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  आसमान देखते हैं
    हरा पौधा देखते हैं
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      हरा पौधा देखते हैं
      उजाला देखते हैं
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          उजाला देखते हैं
              और
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                  और
  
 
बेकाबू होते
 
बेकाबू होते
अपने आपे को
+
  अपने आपे को
  भरसक काबू करते हुए
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    भरसक काबू करते हुए
    नज़रें फेर लेते हैं। मैं ठीक
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        नज़रें फेर लेते हैं। मैं ठीक
  
 
इसी तरह
 
इसी तरह
उसकी याद करता हूँ
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  उसकी याद करता हूँ
  और फिर नहीं करने
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      और फिर नहीं करने
      की कोशिश में
+
            की कोशिश में
        और-और करता हूँ। करता ही
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          और-और करता हूँ। करता ही
 
                       चला जाता हूँ।     
 
                       चला जाता हूँ।     
  

21:00, 5 नवम्बर 2008 का अवतरण

आप
 जेल की कोठरी से
   आसमान देखते हैं
      हरा पौधा देखते हैं
          उजाला देखते हैं
                   और

बेकाबू होते
  अपने आपे को
     भरसक काबू करते हुए
        नज़रें फेर लेते हैं। मैं ठीक

इसी तरह
  उसकी याद करता हूँ
      और फिर नहीं करने
             की कोशिश में
           और-और करता हूँ। करता ही
                       चला जाता हूँ।

रचनाकाल : 12 मई 1975