"हाइकु / शिवजी श्रीवास्तव / रश्मि विभा त्रिपाठी" के अवतरणों में अंतर
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+ | खेतों में धान | ||
+ | इन्द्रदेव रूठे हैं | ||
+ | क्या होगा राम! | ||
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+ | खित्वा माँ धान | ||
+ | इन्द्रदेव रिसान | ||
+ | का होई राम! | ||
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+ | लगती भली | ||
+ | धूप अगहन की | ||
+ | माँ की गोद- सी। | ||
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+ | लागहि नीक | ||
+ | घाम अगहन कै | ||
+ | माँ कै गोदी स। | ||
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+ | धरती जले | ||
+ | गुलमोहर खिले | ||
+ | ग्रीष्म की धूप। | ||
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+ | भुइँयाँ जरै | ||
+ | गुल्मोहर बिक्सिन | ||
+ | घाम गर्मी कै । | ||
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+ | पुष्प नन्हा- सा | ||
+ | खिला, महका, झरा | ||
+ | यही जीवन। | ||
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+ | फुल्वा नान्ह कै | ||
+ | बिक्सै, गमकै, झरै | ||
+ | जियब यहै। | ||
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+ | आम बौराया | ||
+ | फागुनी बयार ने | ||
+ | चूमा है उसे। | ||
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+ | आम बौरान्ह | ||
+ | फागुन कै बयारि | ||
+ | चुम्मै वहिका। | ||
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+ | नैन तुम्हारे | ||
+ | महाकाव्य रच दें | ||
+ | जहाँ निहारें। | ||
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+ | आँखीं तुम्हरीं | ||
+ | महाकाव्य रचइँ | ||
+ | जैसी लखइँ। | ||
+ | 7 | ||
+ | बेटियाँ हँसी | ||
+ | छेड़ दी हवाओं ने | ||
+ | सरगम- सी। | ||
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+ | बेटी हँसिसि | ||
+ | हवा छेड़ि दीन्हिसि | ||
+ | सर्गम अस। | ||
+ | 8 | ||
+ | कली हँस दी | ||
+ | चूम के भागा अभी | ||
+ | एक भँवरा। | ||
+ | |||
+ | कली हँसिसि | ||
+ | चूम्मि कै भाग अब्हीं | ||
+ | याक भउँरा। | ||
+ | 9 | ||
+ | तुमने झाँका | ||
+ | सरिता- जल में | ||
+ | चाँद लजाया। | ||
+ | |||
+ | तुम झाँकिउ | ||
+ | नदिया जल माहिं | ||
+ | चन्ना लजावा। | ||
+ | 10 | ||
+ | धूप न आई | ||
+ | सूरज दादा सोए | ||
+ | ओढ़ रजाई। | ||
+ | |||
+ | घाम न आवा | ||
+ | सूर्ज दादा सयने | ||
+ | ओढ़ि रजैय्या। | ||
+ | 11 | ||
+ | सुर्ख़ गुलाब | ||
+ | डायरी में अब भी | ||
+ | तुम्हारी याद। | ||
+ | |||
+ | लाल गुलाब | ||
+ | डइरी माँ अबहूँ | ||
+ | तुम्हरी सुधि। | ||
+ | 12 | ||
+ | पत्ते झरते | ||
+ | आ जाते फिर नए | ||
+ | शाश्वत सत्य। | ||
+ | |||
+ | पात झरहिं | ||
+ | आवैं बहुरि नए | ||
+ | सास्वत साँच। | ||
+ | -0- | ||
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19:31, 30 मई 2022 के समय का अवतरण
1
खेतों में धान
इन्द्रदेव रूठे हैं
क्या होगा राम!
खित्वा माँ धान
इन्द्रदेव रिसान
का होई राम!
2
लगती भली
धूप अगहन की
माँ की गोद- सी।
लागहि नीक
घाम अगहन कै
माँ कै गोदी स।
3
धरती जले
गुलमोहर खिले
ग्रीष्म की धूप।
भुइँयाँ जरै
गुल्मोहर बिक्सिन
घाम गर्मी कै ।
4
पुष्प नन्हा- सा
खिला, महका, झरा
यही जीवन।
फुल्वा नान्ह कै
बिक्सै, गमकै, झरै
जियब यहै।
5
आम बौराया
फागुनी बयार ने
चूमा है उसे।
आम बौरान्ह
फागुन कै बयारि
चुम्मै वहिका।
6
नैन तुम्हारे
महाकाव्य रच दें
जहाँ निहारें।
आँखीं तुम्हरीं
महाकाव्य रचइँ
जैसी लखइँ।
7
बेटियाँ हँसी
छेड़ दी हवाओं ने
सरगम- सी।
बेटी हँसिसि
हवा छेड़ि दीन्हिसि
सर्गम अस।
8
कली हँस दी
चूम के भागा अभी
एक भँवरा।
कली हँसिसि
चूम्मि कै भाग अब्हीं
याक भउँरा।
9
तुमने झाँका
सरिता- जल में
चाँद लजाया।
तुम झाँकिउ
नदिया जल माहिं
चन्ना लजावा।
10
धूप न आई
सूरज दादा सोए
ओढ़ रजाई।
घाम न आवा
सूर्ज दादा सयने
ओढ़ि रजैय्या।
11
सुर्ख़ गुलाब
डायरी में अब भी
तुम्हारी याद।
लाल गुलाब
डइरी माँ अबहूँ
तुम्हरी सुधि।
12
पत्ते झरते
आ जाते फिर नए
शाश्वत सत्य।
पात झरहिं
आवैं बहुरि नए
सास्वत साँच।
-0-
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