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"मेरी परछाईं / वेणु गोपाल" के अवतरणों में अंतर

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19:04, 6 नवम्बर 2008 के समय का अवतरण

ठीक हाथों में मेरे

मैं

कि जैसे वो पहाड़, वो बादल, वो पेड़,

स्बेरा भी
मेरे हाथों में,

झाँकता हूँ
कि देखता हूँ

तुम

कि जैसे मेरा शरीर, मेरा समय मेरा संसार,

और
उनके पीछे
उनकी परछाईं की जगह
मेरी परछाईं।

ठीक हाथों में मेरे

मेरे साथ
मेरे पीछे-पीछे
चलती हुई।

रचनाकाल : 24 अप्रैल 1980