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"उपाय / वेणु गोपाल" के अवतरणों में अंतर

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19:14, 6 नवम्बर 2008 के समय का अवतरण

अंधेरे के खिलाफ़ होता हूँ मैं जब
मेरे पास एक ही उपाय होता है
तब
अचूक

और
वह

तुम हो।

तुम्हें मैं रोशनी की तरह इस्तेमाल कर लेता हूँ।

और
जब कभी
रोशनी की दुनिया
खिलाफ़ हो जाती है
मेरे

तो
मैं
तुरन्त
तुम्हारे जिस्म से
अपने जिस्म को
एकमेक करते हुए
एक
निजी अंधकार
रच लेता हूँ
आसपास ।

रचनाकाल : 23 मई 1975