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"मेरी सब सांझें लौटा दो / दर्शन दर्शी" के अवतरणों में अंतर

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चाक-दामन से मैं ही दौड़ा
 
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तेरी कुरती के बटनों पर
 
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बोझ किसी दूसरी छाती का
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अब मेरी कनपटियों पर भी
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तेल लगाती हैं और उंगलियाँ
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गुज़रे जीवन का वो टुकड़ा
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समय के पटवारी को कह कर
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सब लिखवा दे मेरे नाम
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मेरी सब साँझें लौटा दो
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मेरी सब शामें लौटा दो
  
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'''शब्दार्थ : कुन्जु,पुन्नू,रांझा, चैन्चलो,सस्सी = ये सभी विभिन्न प्रेम-कथाओं के पात्र हैं।
  
  

14:49, 8 नवम्बर 2008 का अवतरण

जिस परदेस में बसते हो तुम
उस देस की रुत अलग है
उस देस के बादल और हैं
उस देस का सावन पराया
आकाश अजनबी धरती बेगानी
उस दुनिया की अलग कहानी
मेरे सब ख़्त नाम्तुम्हारे
पहली डाक में मुझे भिजवा दो
मेरी सब साँझें लौटा दो

कहीं गुम गया वो सूरज भी
सब्ज़ पहाड़ों पर चढ़ता था
चम-छम नदियों में नहाता था
खुले मैदानों में घूमता था
गहरे सरोवर में तैरता था
नीले अम्बर पक्षियों की कतारें
धूप में छम-छम पड़ती बरखा
क़ुदरत के उस बही ख़ाते पर
अपने पिछले दिन गिनवा दो
मेरी सब साँझें लौटा दो

मालूम है मैं नहीं हूँ कुन्जू
न मैं पुन्नू नही रांझा
तू भी चैन्चलो
या सस्सी नहीं
फिर उलाहना गुस्सा कैसा
घूंघरू वाली ऊँटनी पर चढ़ कर
तू मेले में आई न मिलने
न ही तेरी मोटर के पीछे
चाक-दामन से मैं ही दौड़ा
तेरी कुरती के बटनों पर
बोझ किसी दूसरी छाती का
अब मेरी कनपटियों पर भी
तेल लगाती हैं और उंगलियाँ
गुज़रे जीवन का वो टुकड़ा
समय के पटवारी को कह कर
सब लिखवा दे मेरे नाम
मेरी सब साँझें लौटा दो
मेरी सब शामें लौटा दो

शब्दार्थ : कुन्जु,पुन्नू,रांझा, चैन्चलो,सस्सी = ये सभी विभिन्न प्रेम-कथाओं के पात्र हैं।




मूल डोगरी से अनुवाद : पद्मा सचदेव