भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ब्लैकमेलर-7 / वेणु गोपाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वेणु गोपाल |संग्रह=चट्टानों का जलगीत / वेणु गोप...)
(कोई अंतर नहीं)

19:07, 9 नवम्बर 2008 का अवतरण

वह
किस वक़्त और कहाँ मेरे साथ हो जाएगा?
नहीं जानता। इतना तो तय है कि वह
ऎसा कोई मौका नहीं चूकता जो मेरे लिए
महत्त्व रखता है।

तेलंगाने का जुलूस निकल रहा था और वह
मेरे साथ था।
विद्यार्थियों और मज़दूरों पर गोली चल रही थी और वह
मेरे साथ था।

नक्सलबाड़ी और श्रीकाकुलम में सरकारी ताक़त को
मुँहतोड़ जवाब दिया जा रहा था और वह
मेरे साथ था।

अकाल के वक़्त, बाढ़ के वक़्त, हड़ताल के वक़्त
गर्ज कि हर अहम मौके पर वह
मेरे साथ होता है।
मैं उठने को होता हूँ कि वह अपने फ़ौलादी पंजे से।
मेरी कलाई थाम लेता है

--'कहाँ जा रहे हो? पहले जवाब दो। फिर जाना'--
और मैं कुर्सी पर ढेर हो जाता हूँ। वह
मेरी उन सारी कविताओं की चिन्दियाँ कर
देता है, छितरा देता है, जिनमें
उसे एक भी चिंगारी नज़र आ जाती है। मैं

सिर्फ़ तमाशबीन होता हूँ। मूक। इन
सारी अनैतिहासिक दुर्घटनाओं का।