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"योजनाओं का शहर-7 / संजय कुंदन" के अवतरणों में अंतर

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20:29, 11 नवम्बर 2008 के समय का अवतरण

योजनाओं में हरियाली थी
धूप खिली थी, बह रहे थे मीठे झरने
एक दिन एक योजनाकार को
रास्ते में प्यास से तड़पता एक आदमी मिला
योजनाकार को दया आ गई
उसने झट उसके मुँह में एक योजना डाल दी