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"योजनाओं का शहर-4 / संजय कुंदन" के अवतरणों में अंतर
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राष्ट्र अमुक वर्ष तक पूर्ण विकसित हो जाएगा
तब हम ताक़तवर देशों में शुमार किए जाएंगे
--एक-एक योजनाकार बता रहाथा
वह गिना रहा था कि
तब ये-ये चीज़ें होंगी हमारे पास
उस समय मैं निर्गुन सुन रहा था
मुझे नहीं पता था
अगले कुछ पलों के बारे में
और मैं सोचना भी नहीं चाहता था
मेरा मन एक कलन्दर की तरह
न जाने किस पगडंडी पर चला जा रहा था
ठीक ऊपर उड़ते एक अकेले हंस को देखते हुए।