भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दिल की हालत का सितारों पे असर देखा है / रवि सिन्हा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रवि सिन्हा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGha...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 31: पंक्ति 31:
 
मुझ शिकस्ता ने कभी फ़त्ह-ओ-ज़फ़र देखा है
 
मुझ शिकस्ता ने कभी फ़त्ह-ओ-ज़फ़र देखा है
  
 +
'''शब्दार्थ'''
 
ख़लाओं – आसमानों (skies);  
 
ख़लाओं – आसमानों (skies);  
 
महफ़ूज़ – सुरक्षित (safe);  
 
महफ़ूज़ – सुरक्षित (safe);  

12:28, 6 अप्रैल 2023 के समय का अवतरण

दिल की हालत का सितारों पे असर देखा है
इन ख़लाओं में भी उजड़ा सा शहर देखा है

कौन महफ़ूज़ किसे फ़िक्र है बरबादी की
किस समन्दर ने मिरा रेत का घर देखा है

मेरे होने का शजर आप के आने का बहाव
बूद ने वक़्त के दरिया का सफ़र देखा है

एक दुनिया नयी ईजाद किये बैठा हूँ
एक दुनिया ने मुझे ख़ाना-बदर देखा है

रहनुमा कौन किसे राह दिखाये कोई
इस ज़माने में भटकते हैं ख़िज़र, देखा है

कौन धरती पे करे आज फ़रिश्तों की तलाश
आसमानों में भी मिट्टी का बशर देखा है

क्या तअ'ज्जुब कि ख़यालों से घिरा रहता हूँ
आप ने मेरे ठिकाने को अगर देखा है

कौन सुनता है गुज़िश्ता की कहानी गोया
मुझ शिकस्ता ने कभी फ़त्ह-ओ-ज़फ़र देखा है

शब्दार्थ
ख़लाओं – आसमानों (skies);
महफ़ूज़ – सुरक्षित (safe);
शजर – पेड़ (tree);
बूद – अस्तित्व (existence);
ख़ाना-बदर – बेघर (homeless);
ख़िज़र – एक पैग़म्बर जो राह दिखाने के लिये जाने जाते थे (a prophet who shows the way);
बशर – आदमी (man);
गुज़िश्ता – अतीत (past);
शिकस्ता – पराजित (defeated);
फ़त्ह-ओ-ज़फ़र – विजय और गौरव (victory and glory)