भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मैं लौटूँगी / रुचि बहुगुणा उनियाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रुचि बहुगुणा उनियाल |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:22, 27 अप्रैल 2023 के समय का अवतरण

जैसे लौट आती हैं
ऋतुएँ,

जैसे लौटती हैं
हर शाम चिड़ियाँ
घोंसले में,

जैसे लौटती है
गाय
अपने बछड़े के पास
गोधूलि में,

जैसे लौट आता है
बचपन
नाती-पोते के रूप में,

हाँ
मैं लौट आऊँगी
एक दिन-

जैसे लौटती है
एक मीठी याद,

बस तुम बचाए रखना
मेरे लौटने तक
पुनर्मिलन की इच्छा