भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"घर / रुचि बहुगुणा उनियाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रुचि बहुगुणा उनियाल |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:25, 27 अप्रैल 2023 के समय का अवतरण
चौकन्ना हो जाता है तब
जब भी पुरुष जोर से खंखार लेते हैं गला अपना
लेता है गहरी सांसें
जब स्त्रियाँ करती हैं आराम
सोता है जब
बच्चे थककर सो जाते हैं
अनमना हो उठता है
जब हो जाती है
कहासुनी पति-पत्नी में
हो जाता है मौन
जब नहीं होती
नोकझोंक पति-पत्नी के बीच
मुस्कुरा उठता है
जब साथ मिलकर खाते हैं
निवाले दो जन
खिलखिलाता है
जब बच्चे करते हैं
शरारतें
देखता है टुकुर-टुकुर
आस में
जब निकल पड़ते हैं हम
लंबे सफ़र के लिए कहीं
रह जाता है
बश चाहरदीवारी सा
जब बच्चे बसा लेते हैं आशियाना
माता-पिता से दूर।