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मुर्गे / बरीस पास्तेरनाक/ अनिल जनविजय
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10:43, 24 अगस्त 2023
बारी-बारी से इन सालों में बीते अन्धेरे को धुनता हूँ
ये गुज़रे साल कुछ तो कहेंगे, बतलाएँगे बदलाव की बात
वर्षा, धरती औ’ प्रेम सहित सबका
—
बदल जाएगा रे ये गात !
1923
अनिल जनविजय
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