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"यो दुई थोपा आँसु / हरिभक्त कटुवाल" के अवतरणों में अंतर
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− | + | यी दुई थोपा आँशु | |
मैले मेरै लागि साँचेको | मैले मेरै लागि साँचेको | ||
− | भोलि रुनलाई कसैकोमा | + | भोलि रुनलाई कसैकोमा आँशु |
होला कि नहोला। | होला कि नहोला। | ||
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− | खुसीको | + | दुःख-वेदनामा रोइदिन्छ आँशु |
− | भोलि रमाउन कसैकोमा | + | खुसीको सीमामा झरिदिन्छ आँशु |
+ | भोलि रमाउन कसैकोमा आँशु | ||
होला कि नहोला। | होला कि नहोला। | ||
− | भन्न नसकेका बोलिदिन्छ | + | |
− | पीर बाँधिएका खोलिदिन्छ | + | भन्न नसकेका बोलिदिन्छ आँशु |
− | भोलि पीर पोख्न कसैकोमा | + | पीर बाँधिएका खोलिदिन्छ आँशु |
+ | भोलि पीर पोख्न कसैकोमा आँशु | ||
होला कि नहोला। | होला कि नहोला। | ||
− | बितेका दिनको कथा लेख्छ | + | |
− | मिलन बिछोडको | + | बितेका दिनको कथा लेख्छ आँशु |
− | भोलि लेख्नलाई कसैकोमा | + | मिलन-बिछोडको व्यथा लेख्छ आँशु |
+ | भोलि लेख्नलाई कसैकोमा आँशु | ||
होला कि नहोला। | होला कि नहोला। | ||
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21:20, 2 सितम्बर 2023 के समय का अवतरण
यी दुई थोपा आँशु
मैले मेरै लागि साँचेको
भोलि रुनलाई कसैकोमा आँशु
होला कि नहोला।
दुःख-वेदनामा रोइदिन्छ आँशु
खुसीको सीमामा झरिदिन्छ आँशु
भोलि रमाउन कसैकोमा आँशु
होला कि नहोला।
भन्न नसकेका बोलिदिन्छ आँशु
पीर बाँधिएका खोलिदिन्छ आँशु
भोलि पीर पोख्न कसैकोमा आँशु
होला कि नहोला।
बितेका दिनको कथा लेख्छ आँशु
मिलन-बिछोडको व्यथा लेख्छ आँशु
भोलि लेख्नलाई कसैकोमा आँशु
होला कि नहोला।