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"प्यार / ऋचा दीपक कर्पे" के अवतरणों में अंतर
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प्यार,
प्यार तो एक अहसास है
यूँ ही बांधा जाता है
इसे शब्दों में
रिश्तों में नातों में
प्यार कोई नाम नहीं है
रंग नहीं है
पल भी नहीं है
हृदय में बसा हुआ
एक स्थायी भाव है यह
जो किसी की यादों में
किसी के इंतज़ार में
बारिश की बूँदों में
सुनहरी धूप में
कविता के शब्दों में
सात सुरों में सात रंगों में
और खिलते गुलाबों में
मिल जाता है अचानक ही!
और एक आवाज आती है,
यही तो प्यार है!