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"हम सुपारी-से / कुँअर बेचैन" के अवतरणों में अंतर

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जन्म-अंकुर में बदलता बीज
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जन्म-अंकुर में बदलता बीज़
  
 
मृत्यु है कोई ख़रीदी चीज़
 
मृत्यु है कोई ख़रीदी चीज़

13:59, 4 दिसम्बर 2008 का अवतरण

दिन सरौता

हम सुपारी-से।


ज़िंदगी-है तश्तरी का पान

काल-घर जाता हुआ मेहमान


चार कंधों की

सवारी-से।


जन्म-अंकुर में बदलता बीज़

मृत्यु है कोई ख़रीदी चीज़


साँस वाली

रेजगारी-से।


बचपना-ज्यों सूर, कवि रसखान

है बुढ़ापा-रहिमना का ग्यान


दिन जवानी के

बिहारी-से।

-- यह कविता Dr.Bhawna Kunwar द्वारा कविता कोश में डाली गयी है।