भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कल / संजय चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संजय चतुर्वेदी |संग्रह=प्रकाशवर्ष / संजय चतुर्...)
 
(कोई अंतर नहीं)

01:47, 10 दिसम्बर 2008 के समय का अवतरण

जब भी कोई जवान लड़का गुस्से में चिल्लाता है
बूढ़े दौड़ पड़ते हैं उसकी तरफ़
जैसे उसका ग़ुस्सा ख़तरा हो
उनकी विद्वता के लिए

कल हमारे बच्चे
हमसे हमारी कविताओं का अर्थ पूछेंगे
और हम उनसे कहेंगे
कि बेटा
अभी आप पढ़िए।