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हथेलियाँ ! (युवक और युवतियों
के सन्दर्भ-स्रोत)
चूमी जाती है दाईं हथेली
बाँची जाती है बाईं।

आधी रात के षड्यन्त्र के भागीदार-
मालूम करो :
क्या दिखा रही है दाईं हथेली
और क्या छिपा रही है बाईं।
बाईं हथेली- सिब्बिल-
बहुत दूर रहती है ख्याति से।
इतना ही पर्याप्त है दाईं हथेली के लिए
कि स्त्सेवोला की हथेली बनना लिखा है उसकी नियति में।

पर नफ़रत की इन लम्बी घड़ियों में भी
हम दुनिया के हाथों
सौंपते हैं पूरे दिल से
अपनी बाईं हथेली।
और ईश्वर के आक्रोश के सम्मुख
हमने कभी नहीं हिम्मत हारी
दाएँ हाथ के बल पर
हम जीते रहे बाईं हथेली की नियति।

शब्दार्थ :
सिब्बिल=पौरोणिक कथाओं में भविष्यवाणी करने वाली स्त्री, जिसे अपोलो से दीर्घायु का वरदान मिला था।
स्त्सेवोला=रोम की एक दन्तकथा का नायक, जिसने अपने साहस व निडरता का परिचय देने के लिए अपना दायाँ हाथ जलती आग पर रख दिया था।

रचनाकाल : 27 अप्रैल 1923

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह