भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जब कभी / अर्चना भैंसारे" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अर्चना भैंसारे |संग्रह= }} <Poem> और जब कभी मैली हो जा...)
(कोई अंतर नहीं)

21:49, 30 दिसम्बर 2008 का अवतरण

और जब कभी
मैली हो जाती रुह

तब याद आती
तुम्हारे मन में बहते
मीठे झरने की

कि जिसमें डूबकर
साफ़ करती हूँ आत्मा अपनी।