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"मुकाम / प्रयाग शुक्ल" के अवतरणों में अंतर

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हम कहीं दूर चले जाते हैं । वापस आते फिर ।
 
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और उस जगह का नाम मालूम नहीं ।
 
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आकाश छ्त नहीं है, एक नीली गहराई में
 
आकाश छ्त नहीं है, एक नीली गहराई में
 
 
नहीं, वह फैला हुआ नीला है
 
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जिसका कोई शरीर नहीं । 'मुक़ाम सब उसी मुक़ाम
 
जिसका कोई शरीर नहीं । 'मुक़ाम सब उसी मुक़ाम
 
 
पर पहुँचते हैं'--फ़ैयाज ने कहा । फिर एक थाप है
 
पर पहुँचते हैं'--फ़ैयाज ने कहा । फिर एक थाप है
 
 
शरीर से कुछ ले जाती हुई । हम सब डूब जाते
 
शरीर से कुछ ले जाती हुई । हम सब डूब जाते
 
 
हैं । अनेकॊं बार मैंने अपने को डूबते हुए
 
हैं । अनेकॊं बार मैंने अपने को डूबते हुए
 
 
देखा है । फिर वह शरीर वही शरीर नहीं रहता ।
 
देखा है । फिर वह शरीर वही शरीर नहीं रहता ।
  
 
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'''फ़ैयाज= तबला वादक फ़ैयाज खाँ
फ़ैयाज= तबला वादक फ़ैयाज खाँ
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11:27, 1 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

हम कहीं दूर चले जाते हैं । वापस आते फिर ।
और उस जगह का नाम मालूम नहीं ।
आकाश छ्त नहीं है, एक नीली गहराई में
नहीं, वह फैला हुआ नीला है
जिसका कोई शरीर नहीं । 'मुक़ाम सब उसी मुक़ाम
पर पहुँचते हैं'--फ़ैयाज ने कहा । फिर एक थाप है
शरीर से कुछ ले जाती हुई । हम सब डूब जाते
हैं । अनेकॊं बार मैंने अपने को डूबते हुए
देखा है । फिर वह शरीर वही शरीर नहीं रहता ।

फ़ैयाज= तबला वादक फ़ैयाज खाँ