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"शहर / नवल शुक्ल" के अवतरणों में अंतर

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12:07, 3 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

यह शहर
हमारा शहर है

बिल्कुल अपना
अपनी गाय की तरह
बिसुका हुआ।

अपने बैलों की तरह
जख़्मी कंधों वाला।

बुज़ुर्गों की तरह
तहदार।

बाप की तरह
बेतरह बच्चों वाला।

माँ की तरह
आस पर उपास
संगति की तलाश में।