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"कुछ मेरी वफ़ादारी का इनआम दिया जाए / मुनव्वर राना" के अवतरणों में अंतर
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03:12, 10 जनवरी 2009 का अवतरण
कुछ मेरी वफादारी का ईनाम दिया जाये
इल्जाम ही देना है तो इल्जाम दिया जाये
ये आपकी महफिल है तो फिर कुफ्र है इनकार
ये आपकी ख्वाहिश है तो फिर जाम दिया जाये
तिरशूल कि तक्सीम अगर जुर्म नहीं है
तिरशूल बनाने का हमें काम दिया जाये
कुछ फिरकापरस्तों के गले बैठ रहे हैं
सरकार इन्हें रौगने बादाम दिया जाये